The Single Best Strategy To Use For suraksha upay
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यदि हम ईश्वर के साथ अन्तर्सम्पर्क में हों तो हमारी अनुभूति असीम होती है, जो उस दिव्य उपस्थिति के सागरीय प्रवाह में सर्वव्यापक हो जाती है। जब परमात्मा का ज्ञान हो जाता है, और जब हम स्वयं को आत्मा के रूप में जान लेते हैं, तो जल या थल, पृथ्वी या आकाश कुछ नहीं रहता- सब कुछ वे ही होते हैं। सब वस्तुओं का परमात्मा में विलय हो जाना एक ऐसी अवस्था है जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता। उस स्थिति में एक महान् आनन्द का अनुभव होता है- आनन्द, ज्ञान और प्रेम की शाश्वत परिपूर्णता।
विश्वास कीजिये अपनी सांस चलने तक सच्चाई पर चलना और दूसरों की सहायता करना आपके जीवन को बेहतर बनाता है.
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हममें से बहुत कम लोग जानते हैं कि हम जीवन में कितना कुछ ले सकते हैं, यदि हम उसका उचित रूप से, विवेक पूर्णता और मितव्ययता से उपयोग करें। आइए, हम अपने समय का लाभ उठाएँ– हमारे जागृत होने से पहले ही जीवन काल समाप्त हो जाता है, और इसी कारण हम ईश्वर प्रदत्त अविनाशी समय के महत्त्व को अनुभव नहीं कर पाते।
जब मन और भावनाओं को भीतर की ओर मोड़ दिया जाता है, आप ईश्वर के आनन्द को अनुभव करना प्रारम्भ करते हैं । इन्द्रियों के आनन्द स्थाई नहीं हैं; परन्तु ईश्वर का आनन्द शाश्वत है। यह अतुलनीय है।
चाहे जीवन आपको एक ही साथ वह सब कुछ दे भी दे जिसकी आपको इच्छा थी-धन, शक्ति, मित्र- तो कुछ समय पश्चात् आप पुनः असन्तुष्ट हो जाएंगे तथा, कुछ और अधिक चाहेंगे। परन्तु एक ऐसी वस्तु है जो आपके लिए कभी नीरस नहीं हो सकती अर्थात् आनन्द स्वयं। सुख जो कि आनन्दप्रद ढंग से विविध प्रकार का है, यद्यपि इसका सार-तत्त्व अपरिवर्तनीय है, यह ऐसी आन्तरिक अनुभूति है जिसे प्रत्येक व्यक्ति खोज रहा है। चिरस्थाई, नित्य नवीन आनंद ईश्वर है। इस आनंद को अपने भीतर प्राप्त करके, आप इसे प्रत्येक बाह्य वस्तु में भी पाएंगे। ईश्वर में आप चिरस्थाई अक्षय परमानन्द के भंडार को प्राप्त करेंगे।
आपने सिर्फ शरीर बदला, लेकिन आत्मा तो आपकी वही है ना. आप सबने सुना होगा की आत्मा ही परमात्मा है, तो क्या परमात्मा कभी मरते हैं? फिर हम कैसे मर गए?
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फिर भी वह उस आनंद का वर्णन नहीं कर सकता जो आपको ईश-सम्पर्क में प्राप्त होगा।
The Premier League has confronted criticism of its governance resulting from an alleged lack of transparency and accountability.
गृह अध्ययन के लिए पाठमाला हिन्दी पाठमाला
भगवान् आपको जीवन देता है, उसमें आप जैसे कर्म करते हैं उन्ही के आधार पर अगला जन्म देते हैं. और अभी आपका जो जन्म है वो आपके पिछले जन्म के कर्मों का फल है, इस बात को समझना बहुत ही जरूरी है.